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High BP ka ilaaz || ayurvedic treatment

 आयुर्वेदिक रूप से उच्च रक्तचाप के लिए कई उपचार मौजूद हैं। यहाँ कुछ आयुर्वेदिक टिप्स बताए गए हैं जो उच्च रक्तचाप को कम करने में मददगार हो सकते हैं: 1)अर्जुन की छाल (Arjuna bark): यह हृदय को मजबूत बनाने में मदद करता है और रक्तचाप को कम करने में भी सहायक होता है। आप एक गिलास गर्म पानी में अर्जुन की छाल का पाउडर मिलाकर पी सकते हैं। 2)अश्वगंधा (Ashwagandha): यह एक प्राकृतिक तंत्रिका है जो रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकती है। आप दिन में दो बार 500 मिलीग्राम अश्वगंधा का पाउडर ले सकते हैं। 3)शंखपुष्पी (Shankhpushpi) : यह एक जड़ी-बूटी है जो चिंता और तनाव को कम करने में मदद करती है। आप एक गिलास गर्म पानी में शंखपुष्पी का पाउडर मिलाकर पी सकते हैं। 4)गुग्गुल (Guggulu): यह रक्तचाप को कम करने में मदद करता है और शरीर के अंगों को संतुलित रखने में मदद करता है। आप दिन में दो बार 500 मिलीग्राम गुग्गुल ले सकते हैं. उच्च रक्तचाप से निपटने के लिए अन्य आयुर्वेदिक उपचारों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं: 5)अश्वगंधा चूर्ण (Ashwagandha powder): इसे एक चम्मच दूध के साथ रात को सोने से पहले ले सकते हैं।...

तोरई का प्रयोग || Benefits of Torai

तोरई  का परिचय (Introduction of Torai)

आप सभी तोरई (Turai) से अच्छी तरह  परिचित होंगे। इसकी सब्जी भी जरूर खाएं होंगे। जो लोग हरी सब्जियां खाना पसंद करते हैं वे तोरई का सेवन बहुत अधिक मात्रा में करते हैं। आमतौर पर लोग तोरई का उपयोग केवल सब्जी (tori vegetable) के रूप में ही करते हैं और यह नहीं जानते हैं कि तोरई का प्रयोग एक औषधि के रूप में भी किया जाता है।



आयुर्वेद में यह बताया गया है कि तोरई (Ridge gourd )  पचने में आसान होती है, पेट के लिए थोड़ी गरम होती है। कफ और पित्त को शांत करने वाली, वात को बढ़ाने वाली होती है। वीर्य को बढ़ाती है, घाव को ठीक करती है, पेट को साफ करती है, भूख बढ़ाती है और हृदय के लिए अच्छी होती है। इतना ही नहीं यह कुष्ठ, पीलिया, तिल्ली (प्लीहा) रोग, सूजन, गैस, कृमि, गोनोरिया, सिर के रोग, घाव, पेट के रोग, बवासीर में भी उपयोगी होती है। कृत्रिम विष, दमा, सूखी खाँसी, बुखार को ठीक करती है।



तोरई क्या है (What is Torai?)

तोरई (ridge gourd in hindi) की तरह ही तोहई तेल भी गुणों से युक्त होता है। इसकी तीन प्रजातियां होती हैं। जिनका प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है। इसे बिहार में नेनुआ भी कहा जाता है और बिहार में इसकी सब्जी (turai ki sabzi) बहुत ही पसंद से खाई जाती है। इसकी एक और प्रजाति होती है जिसे हिंदी में झींगा और अंग्रेजी में रिज गॉर्ड (Ridge Gourd) कहा जाता है।




सिर के रोग में फायदेमंद तोरई का प्रयोग (Benefits of Torai in Relief from Headache in Hindi)

तोरई (turai ki sabzi) के पत्तों के रस से गेहूँ के आटे को गूँथ कर उसकी बाटियाँ बनाकर उन्हें चूर लें। उसमें घी और शक्कर मिलाकर लड्डू की तरह बना लें। इसे खाने से अनन्त वात नामक सिर के रोग में लाभ होता है। कच्ची कड़वी तोरई (ridge gourd) को पीसकर कनपटी पर लगाने से भी सिर के दर्द से आराम मिलता है।



आँखों के रोग में तोरई के इस्तेमाल से फायदा (Torai Benefits in Cure Eye Disease in Hindi)

कड़वी तोरई के बीजों को मीठे तेल में घिसकर आंखों में काजल की भांति लगाने से काला मोतियाबिंद ठीक होता है। तोरई के पत्तों को पीसकर उसका रस निकाल लें।  इसे 1-2 बूंद आँखों में लगाने से आँखों के विभिन्न रोगों में लाभ होता है।




तोरई के सेवन से गंडमाला (ग्वायटर) का इलाज (Benefits of Torai in Goiter Treatment in Hindi)

तोरई रस में पिप्पली चूर्ण मिलाकर, छानकर 1-2 बूंद नाक में डालने से गले की गाँठों में लाभ होता है।




टांसिल के सूजन में तोरई का उपयोग फायदेमंद (Turai Benefits in treatment of Tonsil in Hindi)

तोरई (ridge gourd) फल तथा पत्तों का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में पीने से टांसिल की सूजन और खाँसी और सांस फूलना ठीक होता है। 2-4 ग्राम बीज चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से भी खाँसी एवं दम फूलना ठीक होता है।




कब्ज में तोरई का उपयोग लाभदायक (Torai Uses in Fighting with Constipation in Hindi)

तोरई के बीजों को पीसकर 1-2 ग्राम तक सेवन करने से कब्ज ठीक होता है।


तोरई के फलों की सब्जी बनाकर खाने से भूख बढ़ती है तथा पथरी में लाभ होता है।




तोरई के इस्तेमाल से बवासीर का इलाज (Uses of Turai in Treatment of Piles in Hindi)

तोरई के चूर्ण को बवासीर के मस्सों पर लगाएं या गुड़ के साथ चूर्ण की बत्ती बनाकर गुदा में रखने से बवासीर समाप्त हो जाता है। कड़वी तुम्बी, इंद्रवारुणी तथा तोरई चूर्ण में गुड़ मिलाकर उसकी बत्ती बनाकर गुदा में रखने से बवासीर में लाभ होता है।


बैंगन के फल को तोरई के क्षारीय जल में पकाने के बाद घी में भूनकर खाएं। इसके साथ में छाछ पीने से पुरानी बवासीर में बहुत लाभ होता है।


कड़वी तोरई (turai) के रस में हल्दी चूर्ण मिलाकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से बवासीर में लाभ होता है।


तोरई के पत्तों को पीसकर बवासीर के मस्सों में लगाने से दर्द समाप्त होता है।


इसे लगाने से शीतपित्त, दाद और कुष्ठ आदि त्वचा के विभिन्न रोगों में भी लाभ होता है।



तोरई के उपयोग से पीलिया का उपचार (Uses of Torai in Fighting with Jaundice in Hindi)

तोरई फल के चूर्ण को नाक में डालने से पीलिया रोग में लाभ होता है।


तिल्ली बढ़ने पर करें तोरई का सेवन (Turai Uses in Spleen Treatment in Hindi)

तोरई के बीजों को पीसकर गर्म करके पेट पर लेप करने से बढ़ी हुई तिल्ली ठीक होती है।



मधुमेह (डायबिटीज) में तोरई से फायदा (Benefits of Torai in Control Diabetes in Hindi)

तोरई की सब्जी अथवा तोरई के ताजे फल के 10-15 मि.ली. रस का सेवन करें। इससे मधुमेह (डायबिटीज) तथा एडरिनल ग्लैंड यानी अधिवृक्क-ग्रन्थि से जुड़े विकार दूर होता है।



पेट के रोग में तोरई से लाभ (Turai Benefits in Treating Abdominal Problem in Hindi)

तोरई की जड़ के चूर्ण का 1-2 ग्राम खाने से जलोदर रोग ठीक होता है। तोरई के पत्ते को पीसकर लहसुन के साथ मिलाकर लेप करने से जलोदर रोग में लाभ होता है।



तोरई के प्रयोग से यौन रोग का इलाज (Torai is Beneficial in Sexual Disease in Hindi)

हरड़, तोरई (turai) तथा समुद्रफेन चूर्ण से बनी बत्ती को घिसकर लगाएं। इससे पुरुष के लिंग पर हुए घाव ठीक हो जाता है।


10-15 मि.ली. तोरई के फल के रस को दही में मिलाकर प्रयोग करने से महिलाओं की योनि के घाव (योन्यर्श) ठीक होते हैं।


तोरई के जड़ के चूर्ण, सारिवा जड़ का चूर्ण तथा जपा जड़ के चूर्ण को समान मात्रा में मिला लें। उसमें जीरा मिला लें और इस चूर्ण को 1-2 ग्राम मात्रा में शक्कर मिलाए दूध के साथ सेवन करने से सूजाक यानी गोनोरिया में लाभ होता है।



मासिक धर्म विकार में फायदेमंद तोरई का उपयोग (Torai Help in Menstrual Disorder in Hindi)

10-20 मिली तोरई (turai) पत्ते के काढ़ा का सेवन करने से रुके हुए मासिक धर्म की परेशानी ठीक होती है। इससे पेशाब में खून का आना भी बंद होता है।




गर्भनिरोधक के रूप में काम करता है तोरई (Turai Act as a Contraceptive in Hindi)

तोरई (ribbed gourd) के चूर्ण में शहद मिलाकर योनि में लेप करने से गर्भ नहीं ठहरता है।


कुष्ठ रोग के इलाज में करें तोरई का इस्तेमाल (Torai Treats Leprosy in Hindi)

तोरई तेल की मालिश करने से कुष्ठ रोगों में लाभ होता है। तोरई के फल से बीज एवं गूदा निकालकर उसमें जल भरकर रात भर रख दें। सुबह 10-15 मिली की मात्रा में इस जल को पीने से कुष्ठ रोग में फायदा होता है। सर्षप, करंज, कोशातकी, इंगुदी तथा खदिर चूर्ण को मिलाकर लेप बनाकर लगाने से भी कुष्ठ रोग में लाभ होता है।


अनचाहे बाल को हटाने में तोरई का प्रयोग लाभदायक (Torai is Beneficial in Waxing in Hindi)

गुप्त स्थानों से बालों को हटा कर वहां तोरई (turai) की बीज के तेल को लगाने से बाल दोबारा नहीं आते हैं।


त्वचा रोग में तोरई से लाभ (Turai Uses in Skin Disease in Hindi)

तोरई के बीजों को पीसकर लगाने से त्वचा रोगों में लाभ होता है। तोरई पञ्चाङ्ग को पीसकर लेप करने से त्वचा की जलन, खुजली आदि विकार ठीक होते हैं।


स्वास्थ्य को उत्तम बनाता है तोरई (Turai is Beneficial for Good Health in Hindi)

तोरई (turai), आँवला तथा वच चूर्ण को बराबर मात्रा में लेकर मिला लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में ले, उसमें घी तथा मधु मिलाकर सेवन करने से बुद्धि, स्मृति आदि रसायन गुणों की वृद्धि होती है।


कीड़े-मकौड़ों के विष को उतारने के लिए करें तोरई का प्रयोग (Torai Benefits in Insect Biting in Hindi)

यदि चूहा काट ले तो 10-20 मि.ली. तोरई के काढ़े में दो ग्राम देवदाली फल चूर्ण तथा दही मिलाकर पिएं। इससे उलटी के रास्ते विष बाहर निकल जाता है


बराबर मात्रा में कूठ, वच, मदनफल तथा तोरई फल के चूर्ण को मिला लें। इस 2-4 ग्राम चूर्ण को गोमूत्र के साथ पीने से अथवा 10-20 मिली तोरई फल काढ़े को पीने से सभी प्रकार के चूहे के विष का असर खत्म हो जाता है।


तोरई (ribbed gourd) के तने को पीसकर काटे हुए स्थान पर लगाने से दर्द, जलन और सूजन आदि जहरीला प्रभाव नष्ट होते हैं।


तोरई के फल के रस को काटे गए स्थान पर लगाने से कई प्रकार के विषैले जानवरों के विष का प्रभाव नष्ट हो जाता है।


कुत्ते के काटने पर कड़वी तोरई के गूदे को पीस लें। इसे पिलाने से उलटी तथा शौच कुत्ते का विष उतर जाता है।


तोरई के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Turai?)

रस – 10-20 मि.ली.


तोरई के सेवन का तरीका (How to Use Torai?)

औषधि के रूप में तोरई (ribbed gourd) का प्रयोग करने के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार इस्तेमाल करें।


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